अब ये अखियाँ थक चुकी हैं तुम्हारा इंतजार करते-करते। अब ये अखियाँ थक चुकी हैं तुम्हारा इंतजार करते-करते।
नहीं चाहे वो अपने चरणों पर फ़ूल, गहने या देवी का स्थान, बस माँगती है अपना इंसान होने का मान। नहीं चाहे वो अपने चरणों पर फ़ूल, गहने या देवी का स्थान, बस माँगती है अपना इ...
दिल के अंतस से उपजी एक कविता..... दिल के अंतस से उपजी एक कविता.....
संग कैसे द्वय को तुष्ट करें संग कैसे द्वय को तुष्ट करें
कभी शक्ति रूप में रक्तबीज कोरोना का संहार करो। कभी शक्ति रूप में रक्तबीज कोरोना का संहार करो।
अग्निमय हो गया तो क्या हुआ, बन जा तू अग्निमणि... अग्निमय हो गया तो क्या हुआ, बन जा तू अग्निमणि...